Considerations To Know About sidh kunjika
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नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ॥ ६ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः
इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे ।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
मारणं मोहनं वश्यं स्तंभनोच्चाटनादिकम् ।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।
इस पाठ के करने से अष्टसिद्धियां प्राप्त होती हैं.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
दकारादि श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्
On chanting usually, Swamiji click here says, “The greater we recite, the greater we pay attention, and the more we attune ourselves to your vibration of what is staying stated, then the greater we will inculcate that Frame of mind. Our intention amplifies the attitude.”
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)